Poetry- Maa, Mother, माँ
माँ की संज्ञा है बस प्यार, हर पल हर जगह माँ हमारे लिए रहती तैयार,
इस जंग भरी जिंदगी मे माँ तू करती,
दो वक्त की मूल्यवान रोटी का इंतज़ाम|
माँ, मौत की उस वेला मे संत अंधेरी रातो मे,
दो खंभो से टीके उस झोपड़ी मे, तू मुझे सुला रही थी,
नही सो पा रही थी , नही जाग पा रही थी|
उस अंधेरी जिंदगी मे विवस्ता का पाठ पढ़ा रही थी ,
ये तेरी विरह कथा लिखने मे आँसुओ की बूँद गिर रहे है|
भानु की यह उजाला ला दी नयी जिंदगी जिसका माध्यम तू ही है
माँ तेरे ही इस श्रॅम से मिट गया अंधकार ,
माँ की संज्ञा है बस प्यार.....!!
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